Monday, October 5, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
2 comments:
sateek chitran ..vyavastha par...
Bhai Hariom ji,aapko dhanyavaad,aapki tippani ke liye.
Aap ke cartoons to dekhta raha hoon ,badhiya lagte hai.
Jeevan ko dekhne ki ek alag drishti hai ye jo aapme hai.
I am working as A.Prof.in govt.t.r.s.college ,rewa in Hindi lit.
Kindly give me yr cell and landline no so that we can chat together.
regards ,
dr.bhoopendra
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