Tuesday, October 6, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
2 comments:
बाकी के दो जगाने का ही काम करेंगे. एक शिक्षक को एक विद्यार्थियों को :)
संजय जी की टिप्पणी ने तो सोने पे सुहागे का काम कर दिया :)
Post a Comment