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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
आइडिया तो धांसू है जी!
धांसू आईटम लाये हैं आप ढूंढ कर्।
unparalleled, new angle, Tiwari sb
वाह वाह ये युक्ति अच्छी है बधाई
वाह्! लाजवाब ....
बढिया तरकीब ।
हा हा हा हा मजा आ गया.
बहुत बढ़िया व्यंग.
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