Monday, June 14, 2010
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
7 comments:
wah wah wah wah
http://madhavrai.blogspot.com/
bahut badiya kartoon
http://iisanuii.blogspot.com
यह तो अर्जुन का ही तीर है...
इन्हे "जूतमधारा" पिलाई जाए तो शायद गैस का प्रकोप कुछ कम हो :)
सटीक!
:)
...और याददाश्त भी
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