Wednesday, June 16, 2010
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
5 comments:
कहीं ये जसवन्त सिँह तो नहीं :)
भावपूर्ण कार्टून।
(आईये एक आध्यात्मिक लेख पढें .... मैं कौन हूं।)
yahi sahI hai....
अति उत्तम
जरूरत ज्ञान चक्षु खेल देती है.
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