Friday, April 2, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
हा हा बहुत खूब।
वेरी इन्टेलिजेन्ट!!
एकदम सही रणनीति
बहुत खूब. वैसे भी नेता लोग पांच साल तक जनता को बिना बतलाये अप्रेल फूल ही तो बनाते है. एक दिन अप्रेल फूल बनाया और बता दिया.
waah waah :) ..
बहुत अच्छा व्यंग्य
Post a Comment