Tuesday, March 16, 2010
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
5 comments:
hAhAhA :D
नाले में नहाओ तो सब एक रंग हो जायेगा..
वत्स, अगर दाग ही हटाने थे तो नेता क्यों बना ?
बिल्कुल सही कहा भावेश्जी ने ! अच्छी कल्पना
कम से कम इन्हें अपने दाग तो दिखे, वाह भैया जी बहुत बढ़िया
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