Sunday, December 13, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
4 comments:
hahahahhahahhah hoooooooooooooooooooo
ek tukra aap bhi lao me bhi soch rha hoo
http://mehtablogspotcom.blogspot.com/
बहुत खूब!! सटीक।
सही कहा आपने ..
सियासी खेल चल रहा है ..
पलिज बना ही दे, वरना अनशन करना पड़ेगा.
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