Tuesday, August 25, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
3 comments:
अरे! बाबा यह क्या गणपति जी तो स्वयं विध्नहर्ता है उन्हें ऐसी जरूरत कैसे???
कार्टून चित्र बहुत बढिया बनाया है।
Saarthak vyangya.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
सही है, गणेश जी की प्रजा भी तो घर नहीं बैठती
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