Thursday, July 2, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
9 comments:
भाई हेलमेट नही पहनेंगे तो यही होगा
स्कूटर में सीएनजी नहीं लगती
अब कार ले लो
और स्कूटर से कम में
यात्राई आनंद लो
हेलमेट तो पहनना ही नहीं पड़ेगा
चार को साथ ढो भी सकते हो
स्कूटर पर चार ढोओगे
तो स्कूटर जरूर रोएगा
।
bahut khoob kya aapne bhee sir mundvaayaa tha?
अच्छा भिगोया है। जय हो...!!!
बहुत खूब !!
घायल हो गये हैं हम तो।
जय हो मार्के का हेल्मेट पहनें.
Ole ..Ole ..Ole
वाह सर, कार्टून तो दिखा ही, बहुत दिनों बाद आपको भी देखा। मजा आ गया। हुजूर कभी कभार मेरा ब्लाग भी देख लिया कीजिए। वैसे इन दिनों मुजफ़फरपुर बिहार में दैनिक जागरण की नौकरी कर रहा हूं।
आपका
एम अखलाक
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