Friday, July 3, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
देखते हैँ कि ममता जी आम जनता पर ममतामयी दृष्टि डालती हैँ कि नहीं....
बढिया कार्टून
या फिर खुद की रफ्तार बढानी होगी
हम तो पिछड़ ही जायेंगे ।
इससे तो खुदा भी नहीं बचा पायेगा.
ये तो मार कर ही रहेगी
kya banate ho yaar...??????????
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