Friday, June 5, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
सींचने के तो बहुत फायदे हैं। भाई वाह।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
भई नेता है कोई पागल थोडे ही हैं कि हरेक आलतू फालतू पेड को सींचते फिरें ।
भई आजकल तो हर कोई सिर्फ इसी पेड़ को सींचने के बारे में सोचता है ! तो बेचारा नेता पीछे क्यों रहे वह नेता है इसलिए वह इसे सींचने में सबसे आगे रहता है ! कम कम से एक काम तो यह है जिसे ये प्राणी पुरे मनोयोग से करता है |
बहुत बढ़िया पोस्ट.धन्यवाद
पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प ले.
:)))
Very nice.
~Jayant
inhe to isi ped ko sinchkar fal pane hain.
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