Tuesday, April 13, 2010
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
एकदम सटीक। आओं अब दूसरे के फटे में टांग अड़ाए।
वाह हरिओम भाई, क्या बात है। इतनी पैनी नजर। देखते ही देखते एक भारतीय युवती पाकिस्तानी बन गई। अब मीडिया का कैमरा कहां'कहां ? बता सकता है ?
डॉ महेश परिमल
अभी कहाँ विदा हो गी... रे बुड़बुक रपोरटर..दोणो के पीछे लगा रह..अभी तो हणीमून बाकी है...
एक दोगले झूठे व्यक्ति की दूसरी शादी की इतनी बड़ी दीवानगी. दिमाग में क्या है...
मियां प्रोड्यूसर राखी सावंत को भूल गए !
मजेदार है कार्टून!
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