Monday, April 12, 2010
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
5 comments:
बहुत मजेदार सत्यता
हा हा बहुत खूब
ha ha...amazing one !!
ये चिंदी चोर तो डकैतों के घर चोरी करने की जुर्रत करते दिख रहे है .....
सच्चाई को दर्शाता एक उम्दा कार्टून
कुछ तो अपने ही मौसेरे भाई है...
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