Thursday, December 3, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
5 comments:
आप की ज्यादा बड़ी गलती है
आप ग्वालियर आये ओउर
मिले भी नहीं
हरिमोहन शर्मा जी से मिले
मनोज शर्मा से भी मिल लेते तो
अपुन को कुछ टिप्स मिल जाते
सही कहा।
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अदभुत है हमारा शरीर।
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?
सही कहा :) :)
आपका कार्टून
आपके टैलेंट को बखूबी बताता है ...
हार बार की तरह यह भी लाजवाब ...
सही है :)
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