Wednesday, December 2, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
3 comments:
लम्बे चौड़े लेख की बात आप छोटे ( लेकिन व्यापक )
कार्टून में कर देते हैं ...
मजा आ जाता है .............
घबराओ मत हमारे पास पंचशील है. चीन से उसके द्वारा मुकाबला करेंगे.
कबूतर हैं हम...शायद
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