Wednesday, November 18, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
3 comments:
हा..हा.. हा. कहीं ये उछाल उछल उछल कर मेरे पास न गिर पड़े बहुत सुन्दर कार्टून !!!
मजबूत ताला लगाओ भाई. राज खुला जा रहा है...
ek baat to hai...ghatiya cartoon ki tareeef karne vale bhi maujoood hain is blog ki duniya main...hamari bhi badhai sweekaren, bahut hi badiya cartoon.
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