Saturday, October 10, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
9 comments:
uff es chand ko baksh diya hota,ye mohobbat karnewalo ki amanat hai.bahut khub.
ha ha ha
सटीक।
बहुत बडिया...
इसी विषय के ऊपर मैने http://toontoofan.blogspot.com में एक व्यंग्यचित्र Post किया है!
जब भी समय मिले देख के कुछ सलाह दीजियेगा!
आखिर आदमी की जात जो ठहरा...मानेगा नहीं...
chha rahe ho bhai....bahut khoob, jordar.
मैं भी यूं ही आहत हुआ था इस खबर से
इंसान की निगाह पड गयी है. इंसानियत को छोडकर हर कुछ यहाँ पहुँचेगा.
Insan aagar dharti main moujood pani ka sarakshan kar le to chand ko chhalni karne ki aavshykta nahi hogi kartoon prashansniya hai
Post a Comment