Tuesday, September 15, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
बहुत खूब तिवारी जी!!
नेताओं की अक्ल मारी जाती है जीतने के बाद,
अन्यथा वोट बनाना बड़ा आसान है,
लालू जी को कुछ कुछ समझ थी इस ट्रिक की वह सोनिया जी ने छीन ली !
जनरल डिब्बे में गए तो समझिए,
वोटों की बरसात, काम दो आना मत करो बेशक!
बहुत खूब आभार्
चुनाव आने दो, वो भी कर लेंगे.
लाजवाब...नेताओं के मुंह पर तमाचा...
नीरज
अभी चुनाव थोड़े ही है ! चुनाव के वक्त बताना ये नेताओं को !
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