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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
5 comments:
सटीक!
waah mast,kaash ye behenji ki samjh mein aaye:)
सुन्दर प्रस्तुति !
फिलहाल तो प्रदेश व मुख्या दोनो बेहाल है....चलना सीखो...
पार्क तो बनाने नहीं दे रहे, कहाँ टहलें?????
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