Tuesday, September 8, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
घर में दुश्मन!! :)
ये तो सही में दुश्मन निकले :)
Aapka kartoon Bhavishya main kamai ka rasta batlata hai
P.Chawla
अब पछताए होत क्या!!!!!
kaash sabhi mata pita aisa sochen
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