Saturday, August 15, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
5 comments:
वाह क्या बात है... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ...जय हिंद !!
वाह, क्या आईडिया है !
बापू के आंख कान ढंक दें तो अधिक अच्छा है .. ऐसे देशभक्तों को देख सुनकर तो उन्हे .. स्वाइन फ्लू होने से अधिक तकलीफ हो रही होगी !!
वाह! अन्ध-भक्तों पर सटीक प्रहार!!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मास्क तो मायावती के हाथियों को भी लगाने का फर्ज बनता है!!!
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