Thursday, August 6, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
5 comments:
ऐसे निकम्मो को दण्डित किया जाय....
:)
आज मै एक नयी शक्स से रुबरु हुआ ।
सुन्दर कार्टून चित्र ।
आप फुर्सत मे मेरे ब्लोग पर आये
http://photographyimage.blogspot.com/
बात तो सही है:)
बिलकुल.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अब यही शेष है!
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