Saturday, July 18, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
7 comments:
बढ़िया :-)
मज़ेदार
लगा है तीर निशाने पर्।
यह तो जबर्दस्ती का सूर्यग्रहण
यानी हिटलरी सूर्यग्रहण हुआ
ha ha badhiya:)
उत्तर प्रदेश में तो स्थाई सूर्यग्रहण लगा हुआ है :-)
पहले महिलाएं ग्रहण लगाने में प्रमुख होती थीं ...अब किस्मत का खेल देखो
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