Friday, July 10, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
9 comments:
:)
आका पर ही वार !!
are waah,
hariom ji bahut sundar chitran
jab sher ke munh khun lag jaye fir kahe ka aaka..
badhiya cartoon..dhanywaad
नहीं रहने दूंगा अब
आका का भी खाका।
नहीं रहने दूंगा अब
आका का भी खाका।
बढ़िया कार्टून !!
चिराग़ का जिन्न अलादीन के क़ाबू से बाहर हो ही गया न.
भस्मासुर्!!!
सत्य वचन !! कुछ ऐसे ही विचार इस घटना को सुनकर मेरे मन में भी उत्पन्न हुए थे
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