Wednesday, July 1, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
7 comments:
ha ha ha
बढिया.....सटीक!!!!
हरिओम जी,
आपके कार्टून बहुत ही चुभते हैं। व्यवस्था पर तीखी और करारी चोट करते हैं। कहाँ से ले आए, ऐसा नजरिया। कभी-कभी तो माशाअल्ला, आप गजब ही ढा देते हो। आखिर नेताओं से इतनी नाराजगी क्यों? यही तो हैं, देश के तारणहार! इनसे पंगा न लेजो, ये कुछ भी कर सकते हैं। सँभलकर रहियो।
डॉ. महेश परिमल
यहाँ तो शुरू होने के पहले ही गिर गई।
bahut badiya cartoon....
bahut badiya cartoon....
बढिया कटाक्ष
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