Wednesday, June 24, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
9 comments:
अच्छा है।
यहां भी पधारे।
http://hamarahindustaan.blogspot.com
कुछ न कुछ तो गड़बड़ है।
शायद मौसम विभाग से कुछ ले दे कर बात बन जाए :)
कुछ वजन धरो..तो फाईल बढ़े!!
रखे रहिये दाब के...जब पानी बरसेगा न...तो पूरा फाईल के कागज़ का नाव बना के उसमें चलाइयेगा,,,ससुरा फईल्वा अपने आप चलेगा..
थोडा नकद नारायण चढावें तो कुछ बात बने......
फाइल चलानी है रखिये वजन
वर्ना करते रहिये भगवत भजन
फाइल चलानी है रखिये वजन
वर्ना करते रहिये भगवत भजन
bhrastachar ki koi seema nahin
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