Tuesday, June 16, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
7 comments:
बहुत खूब। किसी शायर ने कहा है कि-
कभी आँसू कभी खुशी बेची हम गरीबों ने बेकसी बेची।
चंद साँसें खरीदने के लिए रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
vaah vaah gahare bhaav liye ek sundar abhivyakti badhaai
kamaal !
gazab !
सटीक।
ha ha ha ha
:)
are waah team ke liye to ye bonus offer hai,,,...magar ve kambakht royein bhee tab na...
ise kahte hain aashavaad
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