Thursday, June 11, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
4 comments:
Haaahaaaahaaa Waah majaa aa gayaa!!!!
Bahut sundar.
:)
lijiye hamaare yahaan to gunee log apne daraaj mein dalwaate hain...baad mein gullak kee tarah nikaal lete hain..ab cbi gullak ko to nahin chhed sakti na...
SOCHO RANGE HAATH KAISE PAKDEN
RISHWAT LEKAR BHI YEH AAKDEN
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