Tuesday, June 9, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
9 comments:
बहुत बढ़िया है, लेकिन शार्पनेस की थोड़ी कमी है। मौजूदा समय में कार्टूनिस्ट की छुरी सर्जिकल ब्लेड की तरह तेज होनी चाहिए, ताकि काटो तो खून न निकले।
KYA KAHNA
BAS ITNA KAHNA KAFFI THA-
" OUR KUCH LAAUUN SIR"
Shayad Soumitra Rai yahee kahna chahte honge
और क्या लेंगे सा'ब?
बहुत सुंदर.
हमारी राय- 'सौ मित्र' राय जी, इस तरह बेबाक टिप्पणी करके तो आप 'सौ शत्रु' बना लोगे भाई.....
हमारी राय- 'सौ मित्र' राय जी, इस तरह BAKBASSSSSsssss टिप्पणी करके तो आप 'सौ शत्रु' बना लोगे.....
बहुत बढिया!! सटीक।
soomirta ji ki tippani bilkul sahi he ... cartoon se zada satik....
aur hari om aap accsept karna sikhiye ...anonymous ban k aapna bacho mat kijiye kyunki yaha faltu me tariff karne wale to bahut mil jayenge... kyun ki un ko bhi apne blog par tippaniyan chahiye aisi be baak tippani bahut kam log karte he jo wakaie me aapka cartoon dhiyaan se padte he ... aisi tippani se humesha kuch sikhne ko milta he.....
सुन्दर! सौमित राय की टिप्पणी को प्रोत्साहन के रूप में लिया जाये।
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