Friday, May 8, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
:) अच्छा रास्ता है
आप तैयार ही करते रह जायेंगे
इस पर चढ़ कोई और जाएगा
हाहाहा
wah wah..
FANTASTIC!!!!!!
P फॉर पैसा M फॉर मनी......यही मतलब रह गया है PM का.........जोरदार .
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