Friday, May 22, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
4 comments:
ha ha ha ha
बख्शीश में , कुछ और भी बचा हो तो मांग लें , कार्टून देख पढ़ कर वाह कर उठे , और परिचय पा कर भी |
शुक्र है कि बख्शीश गुद्दी पकड़ कर नहीं मांगी.
जय हो!
Post a Comment