Tuesday, May 19, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
8 comments:
क्यों जले पर नमक छिड़क रहे हो भाई...बेचारे वैसे ही कम दुखी नहीं हैं, बढ़िया कार्टून.
अरे श्रीमती जी, ये न्यूटन के सिद्धांत से प्रभावित हैं - Action vs. Reaction.
इन को उठने और गिरने के लिए पुश की जरूरत होती है।
wah...
क्यों याद दिला रहे हैं भाई । धन्यवाद ।
काली डाक भेजना बंद
काली डाक भेजना बंद
majedar!!
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
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