Thursday, May 7, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
4 comments:
हा हा हा
लेकिन नेता श्री इतनी patience कहाँ से लाओगे.
सही जगह पहुँचे अब!
आजकल तो मछुवारे नेताओं से यह कला सीख रहे हैं और यहाँ उल्टी गंगा बह रही है.
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