Thursday, April 30, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
8 comments:
good cartoon
good cartoon
बहुत खूब ..अच्छा कार्टून है।
wah wah
waah waah !!
धन्यवाद अनिल हरिओम भाई, मजा आ गया।
बस इतना कहूंगा-
ये दोगली शख्सियत के मालिक, ये जुल्म ओ नफरत के खालिक।
कभी बस्ती जला रहे हैं कभी कबूतर उडा रहे हैं।।
एक अच्छा कार्ून के लिये बधाई। मेरे ब्लोग पर आने की जहमत उठाए। आपका स्वागत है
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