Wednesday, May 13, 2009
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कमंडल और खड़ाऊं से लैस एक ऋषि ब्लॉगिया दुनिया में अवतरित हो गया है। चूंकि खड़ाऊं आम चल रहे हैं तो बचा कंमडल में श्राप या आशीर्वाद का जल। अब यह तो मनुष्य की मनुष्यता या दुष्टता पर निर्भर करेगा कि किसे क्या मिलेगा। कार्टूनों की यह बौछार नेताओं और नौकरशाहों के कर्म आचरण पर निर्भर करेगी..
6 comments:
http://onecolumn-kaptan.blogspot.com/2009/04/blog-post_29.html#comments
ye bhi dekhe...kaptan ne yeha cartoon bahut pehale bana liya tha.. aapne wahi se uthaya he kya ...
hari om hari mo hari mo...
sharab purani jyada mast hoti hai, yahan to botal bhi purani hai........Anonymous ji, nakal ki hai to kya hua akal bhi to lagai hai inhone.....aapke KAPTAN ka chhata black hai aur apne HARIOM ka imported RANGEEN ...ha ha ha ....
भाई Anonymous जी, एक ही विषय पर बनाने पर प्रायः ऐसा हो जाता है.
मुझे नहीं लगता कि रोज़ नया कार्टून बनाने वाले को किसी दूसरे का कार्टून उड़ाने की ज़रुरत होती है. ब्लॉग्गिंग पर मैंने एक कार्टून बनाया था...मेरा ध्यान किसी ने खींचा कि ठीक वैसा ही कार्टून फलां ब्लॉग पर भी पहले ही लगा है....जबकि सचाई यह है कि मुझसे पूर्व बनाया गया कार्टून तब से उस ब्लॉग पर था जब मैंने ब्लॉग्गिंग के बारे में सुना भी नहीं था..ज़ाहिर है, मुझे पहले से बने कार्टून की जानकारी का सवाल ही नहीं उठता.
दूसरों की बात तो छोडो..एक ही कार्टूनिस्ट के कुछ साल पुराने कार्टून देखना शुरू कर दो...एक ही विषय पर लगभग वैसे ही कार्टून दोबारा- दोबारा बनाये हुए मिल जायेंगे...जबकि कोई कार्टूनिस्ट प्रेरणा/ चुराने के लिए अपने ही पुराने कार्टून देखता होगा, मुझे असंभव लगता है.
खैर आपका धन्यवाद, इस बहाने एक और कार्टून देखने को मिल गया. :-)
Anonymous ji... aap kyun faltu ki bakwaas likh rahe ho....
isse pata chalta he ki aapki soch kitni ghatiya he....
hari om ji ko me bachpan se dekhta aaraha ho aur sikhta aaraha ho....
aur aisa aksar hota he... ye koi bahut badi baat nahi he... me kajal ji se sehamt ho.....
aur aap jo koi bhi he kripa kar k cartoon dekhiye aur hasiye is tarha ki baaten kar k mahol kharab mat kijiye
कप्तान जी और काजल जी से सहमत हूँ..
जब मैं कवितायें लिखता हूँ तो कभी कभी कुछ विचार और अभिव्यक्ति सामान हो जाती कहीं, कभी किसी और से और कभी अपनी ही किसी और रचना से...
यदि बहुत बार ऐसा हो तो और बात है...
यहाँ तो ऐसा नहीं लगता...
हरि ओम जी,
बहुत सुन्दर है यह चित्र...
वैसे इस बहाने मुझे एक और अच्छे ब्लॉग का (कप्तान जी) पता चल गया... :))
~जयंत
आपके ब्लॉग की सामग्री काफी अच्छी लगी, आप अच्छा लिखते हैं ,
साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है ,
यूँ ही लिखते रही हमें भी उर्जा मिलेगी ,
धन्यवाद
मयूर
अपनी अपनी डगर
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